कितने सभ्य कितने जानवर
6:58 PMNDTV एप पर ये फोटो देखकर स्तब्ध हूं
ये कैसी परंपराएँ ????
ये कैसे त्योहार???
क्या हम धार्मिक है
ढाका में कितने निरीह पशुओं का क़त्ल हुआ होगा
जो इतना खून बहकर गलियों के जरिये सड़कों पर आ गया
भारी बारिश के कारण सड़के खून से सराबोर नजर आईं....
महापुरूषों से श्रवण किया है अक्सर कि ये धरती चौरासी लाख प्रकार के जीवों के लिये है
सबको जीने का समान अधिकार है... जब हम कीसी को नया जीवन दे नही सकते तो ले कैसे सकते है
“जीवों जीवस्य भोजनम्” यह सिद्धान्त भी शास्त्रों में वर्णित है
मगर
इन्सान में दया , वात्सल्य , कर्त्तव्य , और पालक का भाव होने के कारण सब योनियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है
तो फिर ऐसा हृदयविदारक रक्तपात क्यों???? ये कैसे कैसे उत्सव बना लिये हैं हमनें!!!! कैसी धार्मिकता है ये....?
केवल जीभ के स्वाद को पुर्ण करने के लिये हम बलि और क़ुर्बानी जैसे शब्दों का मनमाफिक इस्तेमाल करने में सिद्ध हो गये हैं
काश बाकि के जीव भी भलीभाँति इस इन्सानरूपी सर्वभक्षी को पहचान पाते
तुर्रा ये है कि हम अपने आप को सर्वभक्षी होते हुए भी सभ्य मानते है... क्योंकि हम पानी बेचना सीख गये है दूध बेचना सीख गये है तथाकथित विकास की आड़ में प्रकृति को उजाड़ कर उसपे सभा सम्मेलनों में चिंता जताना सीख गये है
कितने सभ्य हैं हम!
1 comments
Superb posts Sir. Thanks for enlightenment.
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